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Tuesday, April 20, 2010

"ख़त ,कफ़न, कासिद ..और तेरा इंतज़ार |"


" तेरे ख़त का इंतज़ार करते करते ,

बीत गया हर लम्हा ,

न तेरा "ख़त" आया ,न कम्बक्त "कासिद" आया ,

ये " कफ़न" न जाने कहाँ से आया ,

आज भी ओढ़े सोया हु " कफ़न" ,

ख़त के इंतज़ार में "

Thursday, April 15, 2010

"बंजर ख्वाबो की दुनिया में ,फूलों की सेज सजा रहा हु"


" बंजर ख़्वाबों की दुनिया में ,फूलों की सेज सजा रहा हु ,

जिन्दगी के आईने पर पड़ी धुल ,साफ़ करने की कोशिश कर रहा हु ,

मौत आने से पहले ए - बेवफा ,

बहते अश्क में, तुजे ढूंढने की कोशिश कर रहा हु "

Friday, October 23, 2009

" दो पल "---- एक रचना

" दो पल "

चिंता मत कर प्यारे कल की ,

सोच बस्स ! आज के इस पल की ,

होती है हार एक दिन सबकी ,

कोई इट नही इतनी पक्की |



युग युग का है तू युगंधर ,

जिन्दगी है दुःख का समंदर ,

जीना तु ये सोचकर ,

बिताना जिन्दगी तु खेलकर |



करता है बदनाम दूसरों को जमाना ,

तु है एक मुसाफिर बेगाना ,

मत खोलना फ़िर कोई मयखाना ,

बस्स ! सोच के ये तराना |



वक्त नही तेरे पास कल ,

यही है बस्स ! दुःख के पल ,

बिताना तु उसको कहके चल ,

फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल " | "


Thursday, October 8, 2009

" हँसना मना है | "

संता अपने शादी का सरटीफीकैट लेकर बैठे बैठे कुछ ढूंढ़ रहा था अचानक वो गुस्सा हो गया ......

संता : " ये ग़लत कर रही है सरकार ..."

बँटा : क्या ग़लत कर रही है ?

संता : यार कब से ढूंढ़ रहा हु , हर चीज़ में एक्सपिएरी डेट होती ,मगर इस में नही है ... "

कुछ आया समज में ...अगर आया हो तो इसे अपने दोस्तों को सुनाओ और हँसते रहो ...

Saturday, September 19, 2009

यादें ...

" दोस्तों मेरे १० साल के बड़े दोस्त ने मुझे कुछ इस तरह से याद किया था ,जो बात मेल के जरिये मुझे उसने कही थी ,ये जो कविता है वो उसी मेल का एक हिशा है .....आई ये मेरे बड़े से नन्हे मुन्हे दोस्त के कलम का जादू देखे ....." गोबर के अंदर फंस गया सिकंदर " पोस्ट उसे बेहद पसंद आई थी ... और उसने मुझे ये बात कही जो आज "यादें" के रूप में आपके सामने रख रहा हु मेरे लिए कलम उठाने वाले मेरे १० साल के दोस्त का नाम है ....."सागर "
हम तुम ,

हर पल मिलेंगे ,


आज मिले ,


कल मिलेंगे ,


मानों हर.... पल मिलेंगे ,


पल पल मिलते मिलेंगे ,


बिछडे कभी ,फ़िर भी मिलेंगे ,


गर ना मिल सके तो .....


यादों की गहराई में मिलेंगे "



----- मेरे दोस्त १० साल के " सागर " की रचना


Thursday, September 3, 2009

" गोबर के अन्दर फंस गया सिकंदर "

" अब ये कौनसी नई मुसीबत है ? " कहते मैंने टी.वी का रिमोट टी.वी बंद करके सोफे पर फेंका | रात के बज रहे थे .....मेरी श्रीमती ने फ़िर आवाज़ लगाई " सायद आज भी चोर आएगा ,आप जागते रहेना |" ...मै उसकी बात पर हंस पड़ा और कहा " अरे तू आराम से सोजा ,अपने यहाँ कोई चोर वोर नही आएगा .....जब तेरे होते हुवे मै अपने ही घर में डर डर के आता हु तो भला चोर की क्या हिम्मत की तेरे सामने आए | " वो गुस्सा हो गई कहेने लगी " कभी तो मजाक की आदत से बहार निकला करो |" मैंने कहा ठीक है ,लो... तुम कहेती हो तो बहार निकल जाए अच्छा खासा मै " लव आजकल "देख रहा था तुम्हिने तो ये " फाइट आज कल "चालू किया | तू सोजा भाग्यवान मै हु , कोई चोर वोर नही आएगा ...तू सोजा | "


" मै वापस "लव आज कल " में खो गया ..... फ़िल्म एक मोड़ पर गई थी ..... की मेरे घर के दरवाज़े पर हलकी सी आहट सुनाए दी ,मै दरवाज़े के करीब जाने लगा .....आहट तो आती ही थी ,मैंने टी.वी बंद करके रिमोट को सोफे पर फेंका ...और दरवाज़े पर अपना कान जमा दिया ...हलकी ठक॥ ठक आवाज़ रही थी सायद कोई दरवाज़ा थोक रहा हो ,मैंने अपना कान वापस जमाया दरवाज़े पर ..तो थोडी ही देर में धमाकेदार ठोक ठोक से मेरा कान काम करना बंद होगया ..घर में पड़ा लकडी का डंडा लेकर मैंने दरवाज़ा खोला ...जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला मेरे फटीचर पड़ोसी राजन अंदर आगया |मैंने कसकर डंडा उसकी पीठ पर मार दिया ..वो जाकर सोफे पर गिरा तो टी.वी चालू हो गया....| अरे मुझे क्यों मारा ? सॉरी राजन , मै समजा की चोर आया है ....कहते मूव लेने मैंने ड्रावर खिंचा मूव निकली और राजन की पीठ पर लगाई ...मगर राजन के चीखने से ..हुवा मामला गरम |"


" राजन की चीख सुनकर पदोश में चोरी के लिए घुसा चोर सावधानी से भागने की पुरी तयारी कर चुका था ...उसने जेवर और पैसे अपनी जेब और छोटी सी बेग में भरे और नौ दो ग्यारा होने कोहो गया था तैयार ,राजन को मैंने पुछा की इतनी रात मेरे घर का दरवाज़ा क्यों ख़त खता ता था |चोर के बारे में हमारी बात हुई और उसने मुझसे कहा की वो घर जा रहा है अगर मुझे लगे की चोर आया है तो मई उसे मिस कॉल दू ,...मैंने उसे हाँ कहा और उसे छोड़ने घर के गेट के पास गया ..मैंने गेट खोला तो किर किर आवाज़ के साथ गेट खुला ...ये आवाज़ सुनकर चोर को लगा की हम उसे पकड़ने के लिया रहे है , चोर ने दौड़ना सुरु किया ,मै और घायल राजन ने पिच्छा करना चालू किया ...चोर आगे ..हम पिच्छे ...और हमारे पिच्छे गली के सारे कुत्ते ...कुत्ते भूंक ते थे ..राजन चिलह ता था और मै मुट्ठी बंद करके राजन और कुत्ते से आगे रहने की कोसिस करता था ....चार रस्ते पर से हमारी बारात गुजरी की पुलिशवाले ने हमे देखा ....अब माज़रा कुछ इस प्रकार बना ....आगे चोर ..पिच्छे मै ..मेरे पिच्छे राजन ..उसके पिच्छे कुत्ते ....और कुत्ते के पिच्छे कुत्ता ..अब चोर गल्ली से होकर जा रहा था ..सोअर सुनकर सब गल्ली के लोग भी हमारे पिच्छे दौड़ ने लगे .... चोर कुछ ही मिनटों में हमारी नज़र से गायब हो गया ....आगे बहुत बड़ा मैदान था जिसके साइड में जाने कई सारी भैसे बंधी थी , चोर के गायब होने से हम मुस्किल में पड़ गए क्यों की कुत्ते के पिच्छे जो कुत्ता दौड़ रहा था उसको कैसे समजाये की हम चोर के पिच्छे दौड़ रहे थे ..... उस पुलिशवाले ने आकर सिद्ध प्रहार किया राजन पर .....फ़िर क्या हुवा पता नही ...सिर्फ़ " ओ... माँ " ऐसी आवाज़ आई और राजन मुझसे आगे निकल गया ....अब राजन आगे ..मै पिच्छे ...और मेरे पिच्छे पुलिश और लोगो का काफिला ....भागते भागते हमने मैदान पार किया ...तो देखा की वो चोर " गोबर के ढेर " के बीचो बिच फंस गया है | उसे बहार निकला तो हमने अपनी नाक बंद करली ...दो फिट गोबर के ढेर में फंस जाने की वजह से चोर बदबू मारने लगा था .....हमने उसे खाम्ब्बे से बांध दिया पदोश से रस्सी लेके .....|"


"ख़राब बदबू से बचने के लिए मै जरा दूर जाकर खड़ा रहा ..मैंने देखा की राजन रोड पर बैठ गया है ,तो मै पास जाकर बोला की " क्यों जोगिंग हो गई ?"..वो बोला " रे जा रे आज से तेरे साथ कभी नही आऊंगा ..चोर के पिच्छे भाग ने की क्या जरूरत थी ? " ..मैंने कहा " मै कहाँ भाग रहा था ..तू भागा तो मै भी भागा |" राजन turant बोला " यार मै कहाँ चोर के पिच्छे भाग रहा था ....मै तो कुत्ते से बचने के लिए भागा था | "

"तभी चोर पिच्छे से बोला " मै भी तुम्हारे हाथ नही लगता अगर अन्धेरें में गोबर के ढेर को मिटटी का समजता |"


Sunday, August 30, 2009

" लो मै आ गया ...| "

" सहर्ष निमंत्रण दिल से यारो .....|"

" भइया हम तो गए है मगर आज नही कहेंगे आपसे कुछ ..... क्यों की ..." धीरज का फल मीठा होता है | "...जरा सब्र तो करो यारो .....हम वादा करते है की इसी जगह पर हम आपको कभी हसाएंगे ......तो कभी रुलायेंगे .... तो कभी ....तुम्हे हम अपने साथ हमारी यादों की दुनिया में ले जायेंगे | जहाँ सिर्फ़ हम और हमारी याद होगी ......|"


" दरवाजे पर हम पत्रिका लगायेंगे की दरवाजे के अंदर सिर्फ़ और सिर्फ़ रोते हुवे लोग ही आए क्योंकि हमे रोते हुवे लोगो को हँसाना आता है ......दर्द के मारो के दिल पर मरहम लगाना आता है ....अब ये मत पुछना की मरहम का नाम क्या है ? ......मरहम का नाम है ............." दो मीठे बोल ...और .....ढेर सारी खुशियों भरी बातें ".......|"


" जरा मेरे नजदीक तो आओ ..... अरे यार और .....अपना कान नजदीक करो ....सुनो ..........

सबसे कहेना की कल इसी जगह पर कुछ नई पोस्ट आनेवाली है ...........तो ...आप सब कल फ़िर आइयेगा ..अपने दोस्तों के साथ | "


" आपका आना हमारे सर आँखों पर है ,


हंस ले जरा ,क्या पता फ़िर वक्त मिले मिले ,


दर्द में भी हम तुम्हे खुसी ढूंढ़ कर देंगे ,


हंस ले जरा क्या पता फ़िर वक्त मिले मिले ,


आज मिले है ....बिछड़ना मत


गर बिछडा तो तेरी यादों के साये को लिपटकर


तेरे साये के जरिये तुजे खुसी पहुंचाएंगे ,


हंस ले जरा क्या पता फ़िर वक्त मिले या मिले | "


चलो तो फ़िर कल फ़िर मिलेंगे इसी जगह पर ......इसी ....नही यार कुछ नए अंदाज़ में