
चिंता मत कर प्यारे कल की ,
सोच बस्स ! आज के इस पल की ,
होती है हार एक दिन सबकी ,
कोई इट नही इतनी पक्की |
युग युग का है तू युगंधर ,
जिन्दगी है दुःख का समंदर ,
जीना तु ये सोचकर ,
बिताना जिन्दगी तु खेलकर |
करता है बदनाम दूसरों को जमाना ,
तु है एक मुसाफिर बेगाना ,
मत खोलना फ़िर कोई मयखाना ,
बस्स ! सोच के ये तराना |
वक्त नही तेरे पास कल ,
यही है बस्स ! दुःख के पल ,
बिताना तु उसको कहके चल ,
फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल " | "