
" तेरे ख़त का इंतज़ार करते करते ,
बीत गया हर लम्हा ,
न तेरा "ख़त" आया ,न कम्बक्त "कासिद" आया ,
ये " कफ़न" न जाने कहाँ से आया ,
आज भी ओढ़े सोया हु " कफ़न" ,
ख़त के इंतज़ार में "
:
" दो पल "संता अपने शादी का सरटीफीकैट लेकर बैठे बैठे कुछ ढूंढ़ रहा था अचानक वो गुस्सा हो गया ......
संता : " ये ग़लत कर रही है सरकार ..."
बँटा : क्या ग़लत कर रही है ?
संता : यार कब से ढूंढ़ रहा हु , हर चीज़ में एक्सपिएरी डेट होती ,मगर इस में नही है ... "
कुछ आया समज में ...अगर आया हो तो इसे अपने दोस्तों को सुनाओ और हँसते रहो ...
" दोस्तों मेरे १० साल के बड़े दोस्त ने मुझे कुछ इस तरह से याद किया था ,जो बात मेल के जरिये मुझे उसने कही थी ,ये जो कविता है वो उसी मेल का एक हिशा है .....आई ये मेरे बड़े से नन्हे मुन्हे दोस्त के कलम का जादू देखे ....." गोबर के अंदर फंस गया सिकंदर " पोस्ट उसे बेहद पसंद आई थी ... और उसने मुझे ये बात कही जो आज "यादें" के रूप में आपके सामने रख रहा हु मेरे लिए कलम उठाने वाले मेरे १० साल के दोस्त का नाम है ....."सागर " हर पल मिलेंगे ,
आज मिले ,
कल मिलेंगे ,
मानों हर.... पल मिलेंगे ,
पल पल मिलते मिलेंगे ,
बिछडे कभी ,फ़िर भी मिलेंगे ,
गर ना मिल सके तो .....
यादों की गहराई में मिलेंगे "
----- मेरे दोस्त १० साल के " सागर " की रचना
" अब ये कौनसी नई मुसीबत है ? " कहते मैंने टी.वी का रिमोट टी.वी बंद करके सोफे पर फेंका | रात के २ बज रहे थे .....मेरी श्रीमती ने फ़िर आवाज़ लगाई " सायद आज भी चोर आएगा ,आप जागते रहेना |" ...मै उसकी बात पर हंस पड़ा और कहा " अरे तू आराम से सोजा ,अपने यहाँ कोई चोर वोर नही आएगा .....जब तेरे होते हुवे मै अपने ही घर में डर डर के आता हु तो भला चोर की क्या हिम्मत की तेरे सामने आए | " वो गुस्सा हो गई कहेने लगी " कभी तो मजाक की आदत से बहार निकला करो |" मैंने कहा ठीक है ,लो... तुम कहेती हो तो बहार निकल जाए अच्छा खासा मै " लव आजकल "देख रहा था तुम्हिने तो ये " फाइट आज कल "चालू किया | तू सोजा भाग्यवान मै हु न , कोई चोर वोर नही आएगा ...तू सोजा | "