" तेरे ख़त का इंतज़ार करते करते ,
बीत गया हर लम्हा ,
न तेरा "ख़त" आया ,न कम्बक्त "कासिद" आया ,
ये " कफ़न" न जाने कहाँ से आया ,
आज भी ओढ़े सोया हु " कफ़न" ,
ख़त के इंतज़ार में "
:
संता अपने शादी का सरटीफीकैट लेकर बैठे बैठे कुछ ढूंढ़ रहा था अचानक वो गुस्सा हो गया ......
संता : " ये ग़लत कर रही है सरकार ..."
बँटा : क्या ग़लत कर रही है ?
संता : यार कब से ढूंढ़ रहा हु , हर चीज़ में एक्सपिएरी डेट होती ,मगर इस में नही है ... "
कुछ आया समज में ...अगर आया हो तो इसे अपने दोस्तों को सुनाओ और हँसते रहो ...
हर पल मिलेंगे ,
आज मिले ,
कल मिलेंगे ,
मानों हर.... पल मिलेंगे ,
पल पल मिलते मिलेंगे ,
बिछडे कभी ,फ़िर भी मिलेंगे ,
गर ना मिल सके तो .....
यादों की गहराई में मिलेंगे "
----- मेरे दोस्त १० साल के " सागर " की रचना